मंडला।
मंडला जिले के बिछिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कटंगा मॉल के पोषक ग्राम टकटउआ के पकरी टोला स्कूल मैदान में आज पंचायती राज दिवस का आयोजन बड़े उत्साह और गरिमापूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन और नेतृत्व पास्टर चेतराम मरावी ने सफलतापूर्वक किया, जिनके मार्गदर्शन में ग्रामवासियों ने विकास और जागरूकता के नए संकल्प लिए।पास्टर चेतराम मरावी की प्रेरणादायक भूमिका
रास्ट्रीय क्रिश्चयन मोर्चा के वर्कर पास्टर चेतराम मरावी के कुशल नेतृत्व ने आयोजन में विशेष ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार किया। उन्होंने ग्राम विकास, समुदाय की एकजुटता और पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण पर जोर देते हुए ग्रामीणों को जागरूक किया। उनके प्रेरणादायक शब्दों ने उपस्थित जनसमुदाय को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत किया तथा ग्राम पंचायत की भूमिका को और अधिक मजबूत करने का संदेश दिया।
कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु
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ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा।
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पेसा अधिनियम के प्रावधानों को ग्राम सभा तक पहुँचाने का आह्वान।
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"अपना खानपान, अपना सम्मान" मुहिम के तहत स्थानीय खाद्य परंपराओं का सम्मान बढ़ाने की पहल।
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सामुदायिक संसाधनों का संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन के उपाय।
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दोना पत्तल के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में चर्चा।
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महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करते हुए ग्राम सभाओं में महिला अध्यक्षों के चयन पर बल।
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पारंपरिक वाद्य यंत्रों के संरक्षण एवं उपयोग के महत्व पर संवाद।
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प्राकृतिक खेती और देशी बीजों के महत्व को रेखांकित किया गया।
गरिमामयी अतिथि उपस्थिति
कार्यक्रम में ग्राम पंचायत कटंगा मॉल की सरपंच पार्वती उइके, कृषि विकास अधिकारी पार्वती वट्टी सहित कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए।
मुख्य अतिथि जनपद सदस्य सुंदरलाल कुम्हरे ने पंचायती राज की अवधारणा को मजबूत करने और जनता को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की बात कही।
कार्यक्रम की खास बातें
ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों के साथ ग्राम सभा को जीवंत बनाया। महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी ने ग्राम सभाओं में महिलाओं के नेतृत्व को मजबूती देने की उम्मीदों को और अधिक प्रबल किया। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जैविक खेती को लेकर भी ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया गया।
पास्टर चेतराम मरावी के नेतृत्व में आयोजित यह पंचायती राज दिवस समारोह ग्रामीण चेतना और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।