मंडला। अक्षय तृतीया के पर्व पर मंडला जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। संभावित बाल विवाह को रोकने के उद्देश्य से एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें पुलिस, राजस्व विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और वन स्टॉप सेंटर की टीमें शामिल हैं।
प्रशासन ने सूचना तंत्र को सशक्त करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शौर्या दल, आशा, एएनएम और लाड़ली लक्ष्मी बालिकाओं को सक्रिय किया है। जैसे ही बाल विवाह की सूचना मिलती है, ये टीमें तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई कर रही हैं।
स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को बाल विवाह के दुष्परिणाम बताए जा रहे हैं। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में दीवार लेखन और स्लोगन के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
14 बाल विवाह रोके गए, सख्त कार्रवाई की चेतावनी
प्रशासन की सतर्कता का असर साफ दिखाई दे रहा है। जनवरी से 30 अप्रैल 2025 तक जिले में 14 बाल विवाह रोके गए हैं। जिला प्रशासन ने साफ किया है कि बाल विवाह में शामिल माता-पिता, रिश्तेदार, हलवाई, बैंड, पंडित, समाज के मुखिया और प्रिंटिंग प्रेस वालों को भी दोषी माना जाएगा।
जानिए क्या कहता है कानून
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के तहत दोषियों को 2 साल तक की सजा और ₹1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष निर्धारित की गई है।
जागरूक रहें, सूचना दें
जिला प्रशासन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि यदि कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिले, तो तुरंत प्रशासन या नजदीकी थाने में जानकारी दें। यह समाज के हित में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।